No Cost EMI क्या होता है ? और इसके फायदें
No cost emi kya hota hai – अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करते है तो आपको देखने को मिलता है “No Cost EMI” लेकिन क्या आप जानते है No Cost EMI क्या होता है ये चीज आपको लगभग आपको सभी वैबसाइट पर देखने को मिल रहा है.
ये सिंपल EMI से किस प्रकार अलग है और इससे किस तरह कंपनी, कस्टमर और बैंक को फायदा होता है हम इस लेख में जानने वाले है ।हमारे देश में दो ही कंपनियाँ सबसे ज्यादा लोगप्रिय है वो है

अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जिस पर ऑनलाइन सेल में कुछ प्रॉडक्ट कस्टमर EMI और No Cost EMI को देखकर चक्करा जाते है. लेकिन इनमे कुछ ज्यादा फर्क नही है केवल ब्याज और प्रोसेसिंग फीस का अंतर होता है ।
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विषय-सूची
No Cost EMI क्या होता है ?
जब आप EMI पर कोई समान खरीदते है तो उसमे आपको प्रोसेसिंग फीस और थोड़ा ब्याज देना होता है जो महीने के राशि में जुड़ जाता है. वही जब आप नो कॉस्ट ईएमआई से कोई समान खरीदते है तो आपको केवल प्रॉडक्ट का कीमत ही देना होता है यहाँ आपको केवल EMI की राशि ही देना होता है जिसको No Cost EMI कहते है ।
चलिये इसको अच्छे से जानते है जब आप कोई समान ईएमआई से खरीदते है तो उसके लिए आपके पास क्रेडिट कार्ड होना जरूरी है. जितनी भी ऑनलाइन शॉपिंग वैबसाइट है उन्होने बैंक के साथ हाथ मिलाया होता है अगर आपके पास HDFC Bank या Axis Bank का क्रेडिट कार्ड है तो आपको ज्यादा ऑफर मिलता है ।
साधारण EMI में आपको किश्त के साथ ब्याज भी देना होता है अगर आपका प्रॉडक्ट 10000 का है तो आपको साधारण EMI में आपको उस प्रॉडक्ट के लिए 12 से 13 हजार चुकाने होंगे. लेकिन No Cost EMI में आपका प्रॉडक्ट 10000 का है तो 10000 ही देना होगा ।
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नो कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) के फायदें
इसमे सबसे जो फायदा होता है की कस्टमर को 10000 एक साथ नही देने होते है. इसके अलावा ईएमआई पर लगने वाला ब्याज देना नही पड़ता है ।
इससे दूसरा फायदा ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी को होता है ये कंपनी उन समान पर नो कॉस्ट ईएमआई ऑफर देते है जो ज्यादा नही बिकते है. वही जब ये कंपनी कम डिमांड वाले प्रॉडक्ट पर नो कॉस्ट ईएमआई का ऑफर दे देते है तो वो प्रॉडक्ट ज्यादा बिकने लगते है ।
उसके बाद बैंक का फायदा आता है इससे उन बैंक का क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल होता है और जैसा की हम जानते है. ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल पर बैंक भी कुछ प्रतिशत चार्ज करता है ।
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No-cost EMI इस तरह से काम करती है ?
नो-कॉस्ट ईएमआई (No-cost EMI) ग्राहकों (Customers) को लुभाने का एक जरिया होता है। साधारण EMI में दिए जाने वाले ब्याज (Interest) की तरह कंपनियां (Company) इसमें भी ब्याज काउंट कर लेती हैं। इसके दो तरीके होते हैं।
पहला तरीका यह कि कंपनियां नो-कॉस्ट ईएमआई (No-cost EMI) का ऑप्शन देती हैं तो प्रोडक्ट के एकमुश्त पेमेंट पर डिस्काउंट देती हैं, वहीं नो-कॉस्ट ईएमआई (No-cost EMI)पर आपको प्रोडक्ट पूरी कीमत पर खरीदना होता है।
दूसरा तरीका यह कि इंट्रेस्ट प्रोडक्ट कॉस्ट (Interest Product Cost) में ही शामिल कर दिया जाता है। नो-कॉस्ट EMI पर भी ब्याज (Interest) लेने की वजह यह है कि RBI की ओर से जीरो परसेंट इंट्रेस्ट (Zero persent interest) को परमिशन (Permission) नहीं है।
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इस बारें में आरबीआई क्या कहता है : –
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) (आरबीआई) ने वर्ष 2013 के एक सर्कुलेशन में कहा है कि कोई भी लोन ब्याज (Loan interest) मुक्त नहीं है। 17 सितंबर 2013 का सर्कुलर कहता है,
‘क्रेडिट कार्ड आउटस्टैंडिंग (Credit Card Outstanding) पर जीरो पर्सेंट ईएमआई (Zero Percent EMI) स्कीम (Scheme) में ब्याज की रकम की वसूली अक्सर प्रोसेसिंग फी (Processing fee) के रूप में कर ली जाती है।
उसी तरह, कुछ बैंक लोन (Bank loan) का ब्याज प्रॉडक्ट से वसूल रहे हैं। चूंकि जीरो पर्सेंट इंट्रेस्ट (Zero percent interest) का कोई चलन ही नहीं है, ऐसे में पारदर्शी तरीका यह है कि प्रोसेसिंग चार्ज (Processing charge) और ब्याज को प्रॉडक्ट/सेगमेंट (Interest to product / segment) के अनुकूल रखे जाएं,
न कि लोने देनेवाले अलग-अलग संस्थानों (Institutions) के मर्जी के मुताबिक। नो कॉस्ट ईएमआई (No cost emi) जैसी स्कीम का इस्तेमाल सिर्फ ग्राहकों को लुभाने और उनका शोषण करने के लिए किया जाता है।
Conclusion –
तो ये था No Cost EMI क्या होता है और इसके फायदें उसके बारे में जानकारी आशा करता हूँ की आपको ये लेख पसंद आया होगा और अगर पसंद आया तो शेयर जरूर करें । |
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