
आयुर्वेद में कई साड़ी ऐसी जड़ी बूटियों का वर्णन है जो स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभकारी होती है | ऐसी ही एक जड़ी बूटी लोघ्र का आयुर्वेद से पता चलता है की यह पूरे मानव शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होती है | सदियों से ही लोध्र जड़ी को आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है,
इसे लोध्र के साथ लोध के नाम से भी जाना जाता है | लोध्र जड़ी का वानस्पतिक नाम सिम्प्लोकास रेसीमोसा है | लोध्र जड़ी को मुख्य रूप से ब्लीडिंग डिसऑर्डर, दस्त और आँखों से जुडी समस्याओं को दूर करने में किया जाता है |
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विषय-सूची
- 1 लोघ्र जड़ी क्या है ?
- 2 लोघ्र जड़ी के रोगों में फायदे –
- 3 महिला में रक्त स्त्राव विकार में लाभकारी होता है –
- 4 कील मुहांसे को दूर करता है –
- 5 अल्सर में लाभदायक –
- 6 दांत दर्द को दूर करता है –
- 7 त्वचा को स्वस्थ बनाता है –
- 8 आँखों की समस्या से छुटकारा –
- 9 पीसीओएस में लाभकारी –
- 10 इस जड़ी के स्वास्थ से जुड़े कुछ और फायदे :
- 11 इस जड़ी को प्रयोग करने की मात्रा और सही तरीका :
- 12 इस जड़ी से शरीर पर होने बाले नकारत्मक प्रभाव :
लोघ्र जड़ी क्या है ?
इसका पेड़ प्रमुखतः भारत के उत्तर और पूर्व क्षेत्र में पहाड़ी इलाको में ही पाए जाते है | लोध्र जड़ी का पेड़ बहुत ही विशाल और लंबा होता है | लोध जड़ी के पेड़ में लगने बाले पत्ते अंडाकार आकार के होते है जिनका आकर 9 से 16 सेंटीमीटर तक होता है | इस जड़ी के पेड़ में लगने वाले फूल बहुत ही खुशबूदार और सफ़ेद व् काले रंग में होते है |
इस जड़ी के फल चिकने गोल आकार में लगभग आधा इंच तक लम्बे होते है जिनका रंग काला और हल्का बैंगनी होता है | लोघ्र जड़ी के पेड़ की छाल हलके भूरे रंग की होती है जिसे औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है |
लोघ्र जड़ी के रोगों में फायदे –
मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत ही लाभकारी होती है | इस जड़ी में मानव शरीर के लिए जरुरी पोषक तत्व और एंटी-ओक्सिडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते है | दांत दर्द से लेकर अल्सर जैसी समस्याओं में भी इस जड़ी बूटी का उपयोग बहुत ही स्वास्थवर्धक माना जाता है | लोघ्र जड़ी के साथ और भी कई जड़ी बूटियों को मिलाकर कई सारी स्वास्थवर्धक आयुर्वेदिक दवाएं बनायी जाती है | तो आइये जानते है लोघ्र जड़ी से जुड़े कई लाभकारी फायदे –
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महिला में रक्त स्त्राव विकार में लाभकारी होता है –
इसको हिमास्टसिस (हिमास्टसिस रक्तस्त्राव होने की स्थिति में रक्त को रोकने की सर्जिकल क्रिया होती है ) की तरह प्रयोग किया जाता है | लोध्र जड़ी से बने काढ़े को 50 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में प्रयोग करने से यह यूट्रन में होने बाले ब्लीडिंग डिसऑर्डर( रक्त स्त्राव विकार ) के इलाज में फायदेमंद होता है |
कील मुहांसे को दूर करता है –
इस की छाल को, धनिया के पाउडर और बच जड़ी तीनो को बराबर मात्रा में मिलाकर पानी में डालकर अच्छे से पीसकर के लेप बना ले | इस लेप को दिन में दो बार सुबह के समय स्नान से पहले और रात में सोने से पहले मुंह पर नियम से लगाये | इससे चेहरे पर से दाग धब्बे, कील मुहांसे पूरी तरह से समाप्त हो जाती है, साथ में चेहरे पर ग्लो और चमक बढ़ जाती है |
अल्सर में लाभदायक –
इसका बारीक पाउडर घाव को भरने में बहुत लाभदायक होता है | अल्सर की समस्या होने पर लोध्र, निग्रोधा कली,खादिरा, त्रिफला और घृत को एक साथ मिलाकर पानी में डालकर पीसकर पेस्ट बना ले | इस पेस्ट को नियम से दिन में दो बार सेवन करने से यह अल्सर को ठीक करने में मदद करता है |
दांत दर्द को दूर करता है –
लोध्र जड़ी की छाल, पत्ते दांत को मजबूत बनाने में बहुत लाभकारी होता है | लोध्र की छाल का काढ़ा बनाकर नियम से सुबह गरारे करने से यह मसुडो से ढीलापन और खून आने की समस्या को खत्म करता है | दांत गिरने की समस्या होने पर लोध्र जड़ी को, मस्टा और रसजाना आदि जड़ी बूटियों को शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बना सेवन करने से दांत गिरने की समस्या समाप्त हो जाती है |
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त्वचा को स्वस्थ बनाता है –
लोध्र जड़ी में त्वचा को स्वस्थ बनाने बाले गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते है | लोध्र जड़ी में धातकी, इंद्राव, करंजा और जती जड़ी के साथ मिलाकर पेस्ट बना ले अब इस पेस्ट को सुबह शाम फेस वाश के रूप में प्रयोग करे जल्द फायदा मिलेगा | कुष्ठ रोग होने पर यह पेस्ट एक स्क्रब के रूप में प्रयोग करना लाभकारी होता है |
आँखों की समस्या से छुटकारा –
लोध्र जड़ी बूटी आँखों से जुडी समस्यायों जैसे आँखों में दर्द, आँखों से पानी बहना, आँखों में लालपन आदि के इलाज में बहुत ही लाभदायी होती है | आँखों पर लालपन और सूजन होने पर लोधरा जड़ी के छाल का पेस्ट बनाकर पलकों पर लगाने से जल्द आराम मिलता है | कंजंक्टिवाइटिस यानी की नेत्रश्लेष्मलाशोथ की समस्या होने पर भी इसकी छाल का पेस्ट पलकों पर नियम से दो बार लगाने से जल्द फायदा मिलता है |
पीसीओएस में लाभकारी –
लोध्र पीसीओएस ( माहवारी के अधिक आने की समस्या ) के इलाज में लाभकारी होता है ये समस्या होने पर दस ग्राम लोघ्र जड़ी को दस ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर पाउडर बना ले | अब इस पाउडर को दो – दो ग्राम की मात्रा में पानी के साथ दिन में दो बार सुबह शाम प्रयोग करने से जल्दी फायदा मिलता है | पीरियड्स में अधिक रक्त का स्त्राव होने पर इस जड़ी के पेड़ की छाल और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर के बारीक पाउडर बना ले और इस पाउडर को दिन में 3 बार 1 – 1 चमच्च प्रयोग करे जल्द फायदा मिलेगा | लोध्र जड़ी और तुंबी जड़ी को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना ले और इस पाउडर को योनी पर लगायें जिससे ये योनी में होने वाले संक्रमण को भी दूर करने में लाभदायक होता है |
इस जड़ी के स्वास्थ से जुड़े कुछ और फायदे :
- लोध्र जड़ी के छाल को पेस्ट बनाकर प्रयोग करने से यह सूजन और घाव को ठीक करने में फायदेमंद होता है |
- इस आयुर्वेदिक जड़ी लोध्र की छाल से बना काढ़ा छोटी रक्त वाहिकाओ को नियंत्रित करता है जिससे ये रक्त के स्त्राव को नियंत्रित करता है | इस जड़ी के काढ़े को 50 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में प्रयोग करने से यह डायरिया व् खुनी बबासीर के इलाज में बहुत लाभकारी होता है |
- इस जड़ी लोध्र के फूलो के काढ़े को 30 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से खांसी और बुखार को आसानी से दूर किया जा सकता है |
- लोध्र जड़ी की छाल से बने पेस्ट को खुजली, कीड़े के काटने पर और चकत्ते पद जाने पर प्रयोग करने से जल्द फायदा मिलता है |
- इस बूटी के पावडर को कान के बहने पर कान में छिडकने पर जल्द लाभ मिलता है |
- स्तनों में दर्द,ढीलापन आदि होने पर लोध्र की छाल को पानी में मिलाकर पीसकर बने पेस्ट को दिन में दो बार स्तनों पर लगाये जल्द फायदा मिलेगा |
इस सबके अलाबा लोध्र जड़ी को और भी कई आयुर्वेदिक दवाइयों में मिलाकर प्रयोग किया जाता है :
- लोध्रासव – इस दावा को ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या होने पर प्रयोग किया जाता है |
- अरिमेदी तैलम – इस तेल को शरीर में ताकत को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है |
- दशमूलारिष्ट – इसका प्रयोग महिला के प्रसव होने के बाद होने बाली सूजन को दूर करने में प्रयोग किया जाता है |
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इस जड़ी को प्रयोग करने की मात्रा और सही तरीका :
- लोध्र को औषधीय रूप में प्रयोग करते समय इसकी छाल का किया जाता है
- इस जड़ी को पाउडर के रूप में प्रयोग करते समय इसे 3 से 4 ग्राम की मात्रा में ही प्रयोग करें |
- इस जड़ी के काढ़े को 60 से 120 मिलीग्राम की मात्रा में प्रयोग करना फायदेमंद होता है |
- लोध्र जड़ी के पाउडर को 2 से 5 ग्राम की मात्रा में प्रयोग करना चाहिए |
इस जड़ी से शरीर पर होने बाले नकारत्मक प्रभाव :
- लोध्र का सेवन एक नियमित मात्रा में ही करना चाहिए क्योंकि अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करने से यह हारमोंस को कम करने का काम करती है|
- आयुर्वेद के अनुसार लोध्र को स्त्री रोगों के लिए बहुत ही महत्व पूर्ण माना जाता है |
- इस आयुर्वेदिक जड़ी लोध्र को खाली पेट सेवन न करे इसका खाली पेट सेवन करने से यह टेस्टोंस्टेरोन के स्तर को कम कर देती है |
- लोध्र जड़ी से बने काढ़े तो तुरंत प्रयोग कर लेना चाहिये |
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