किडनी रोग (किडनी की बीमारी) के लक्षण, उपचार | किडनी ख़राब होने के कारण, बचाव
विषय-सूची
- 1 किडन की बीमारी यानि किडनी रोग के लक्षण और इसके उपचार
- 2 किडनी रोग के चरण (Stages of Chronic Kidney Disease in Hindi)
- 3 किडनी खराब होने का कारण (Chronic Kidney Disease Causes in Hindi)
- 4 किडनी खराब होने के अन्य कारण (Kidney Disease Causes in Hindi)
- 5 क्रोनिक किडनी रोग के लक्षण (Kidney Disease Symptoms in Hindi)
- 6 किडनी रोग से बचने के उपाय (Prevention of Chronic Kidney Disease in Hindi)
- 7 गुर्दे की बीमारी का परीक्षण (Kidney Disease Test in Hindi)
- 8 किडनी रोग के जोखिम (Risk of Kidney Disease in Hindi)
- 9 किडनी रोग की जटिलतायें (Complications of Kidney Disease in Hindi)
- 10 किडनी रोग का उपचार (Kidney Disease Treatment in Hindi)
- 11 किडनी रोग का आयुर्वेदिक उपचार (Kidney Disease Treatment by Ayurveda in Hindi)
- 12 Disclaimer:–
किडन की बीमारी यानि किडनी रोग के लक्षण और इसके उपचार
किडनी खराब होने के कारण और आसान बचाव : एक रिसर्च के अनुसार भारत में क्रोनिक किडनी रोग अर्थात गुर्दे की खराबी की समस्या बढ़ती जा रही है। किडनी खराब होने का कारण प्रदूषण, भाग दौड़ भरी लाइफ और खान पान की बदलती अनुचित आदते है। क्रोनिक किडनी रोग (गुर्दे की बीमारी) से बचने के लिए खान पान में सुधार लाना होगा और अपनी लाइफ स्टाइल को अनुकूल बनाना होगा।

गुर्दे की कार्य करने की क्षमता का लम्बे समय तक कम होना क्रोनिक किडनी रोग (गुर्दे की बीमारी) कहलाता है। किडनी खराब होना इस बीमारी का अंतिम स्थायी रूप है। किडनी खराब होने को क्रोनिक किडनी रोग, क्रोनिक किडनी विफलता, क्रोनिक रीनल विफलता और क्रोनिक रीनल रोग जैसे नामो से भी जाना जाता है।
गुर्दे (Kidney) की कार्य करने की क्षमता कम होने पर हमारे शरीर में मौजूद तरल और खराब पदार्थो की मात्रा खतरे के स्तर तक बढ़ जाती है। क्रोनिक किडनी रोग बहुत खतरनाक होता है। यह खतरनाक रोग जब तक पुरे शरीर म फ़ैल नहीं जाता, तब तक इस रोग के लक्षण नजर नहीं आते। क्रोनिक किडनी रोग (गुर्दे की बीमारी) का पता तब चलता है, तब किडनी 75 % तक काम करना बंद कर देती है। ऐसे में किडनी खराब होने पर सफल इलाज कई बार संभव नहीं हो पाता।
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किडनी रोग के चरण (Stages of Chronic Kidney Disease in Hindi)
गुर्दे की बीमारी को पांच चरणों में विभाजित किया गया है। किडनी रोग का सफल और सही इलाज करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले यह पता लगाते है, कि यह बीमारी किस चरण पर पहुंच चुकी है। किडनी रोग के हर चरण का इलाज करने के लिए अलग अलग परीक्षणों की जरूरत होती है।
गुर्दे की बीमारी के स्तर का पता लगाने के लिए, सबसे पहले डॉक्टर गुर्दे की कार्य करने की क्षमता का पता लगाते है। गुर्दे की कार्य क्षमता को डॉक्टर ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर के माध्यम से मापने है। ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर को जीएफआर भी कहते है। जीएफआर एक प्रकार की संख्या है। इस संख्या के माध्यम से गुर्दे की बीमारी के स्तर को समझा जाता है। जीएफआर की गणना करने के लिए व्यक्ति के सीरम क्रिएटिनाइन, लिंग, जाति और आयु को ध्यान में रखके एक गणित सूत्र बनाया जाता है।
रक्त परीक्षण के माध्यम से सीरम क्रिएटिनाइन के स्तर की जाँच की जाती है। आपको बता दे कि सीरम क्रिएटिनाइन मांसपेशियों के माध्यम से किये जाने वाले कार्यकलाप से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ है। क्रोनिक किडनी रोग अर्थात किडनी खराब होने पर किडनी रक्त में मौजूद सीरम क्रिएटिनाइन को साफ नहीं कर पाते, जिसके कारण रक्त में सीरम क्रिएटिनाइन का स्तर बढ़ता जाता है। निचे जीएफआर और सीकेडी के पांच चरण दिये गए है।
- स्टेज 1 (Stage 1) – सामान्य जीएफआर
- स्टेज 2 (Stage 2) – अल्प सीकेडी
- स्टेज 3 ए (Stage 3a) – मध्यम सीकेडी
- स्टेज 3 बी (Stage 3b) – मध्यम सीकेडी
- स्टेज 4 (Stage 4) – गंभीर सीकेडी
- स्टेज 5 (Stage 5) – गंभीर सीकेडी
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किडनी खराब होने का कारण (Chronic Kidney Disease Causes in Hindi)
गुर्दा धमनी स्टेनोसिस (Kidney Artery Stenosis) – गुर्दा धमनी स्टेनोसिस गुर्दे से जुड़ा एक प्रकार का रोग है। इसमें गुर्दे में प्रवेश करने से पहले ही गुर्दे की धमनी रुक जाती है या परिसीमित हो जाती है।
मूत्र प्रवाह बंद – मूत्र प्रवाह के बंद या बाधित होने पर मूत्र मूत्राशय से वापिस लौटकर किडनी में जमा हो जाता है। मूत्र की अधिक मात्रा होने पर गुर्दे पर दबाव अधिक पड़ता है। जिसके कारण गुर्दो की कार्य करने की क्षमता धीरे धीरे कम होती जाती है।
मधुमेह (Diabetes) – मधुमेह रोगियों में क्रोनिक किडनी रोग होने का खतरा अन्य लोगो की तुलना में अधिक होता है। मधुमेह कण्ट्रोल ना होने पर खून में ग्लूकोज की अधिक मात्रा जमा हो जाती है। क्रोनिक किडनी रोग अधिकतर मधुमेह के इलाज के 15 से 25 साल बाद होता है।
गुर्दे की बीमारी (Kidney Disease) – पाइलोनेफ्रिटिस, ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस और पॉलीसिस्टिक जैसे किडनी रोग भी क्रोनिक किडनी रोग (गुर्दे की बीमारी) के खतरे को बढ़ा देते है। गुर्दे से जुडी ऐसी कोई भी बीमारी होने पर समय समय पर इलाज कराना चाहिए।
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) – उच्च रक्तचाप की समस्या होने पर गुर्दों में पाए जाने वाले ग्लोमेरुली भागों को बहुत नुकसान होता है। शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को छानने में ग्लोमेरुली भाग अहम भूमिका निभाते है। ऐसे में उच्च रक्तचाप क्रोनिक किडनी रोग (गुर्दे की बीमारी) की खतरे को बढ़ा देता है।
विषैले पदार्थ (Toxic Substances) – कुछ विषैले पदार्थ भी गुर्दे की खराबी का कारण होते है, जैसे सॉल्वैंट्स, सीसा और ईंधन। कुछ गहनों को बनाने में भी विषैले पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। ये गहने कई बार किडनी की विफलता का कारण बन जाते है।
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किडनी खराब होने के अन्य कारण (Kidney Disease Causes in Hindi)
1. किडनी पर चोट लगने या किसी प्रकार के झटके के लगने के कारण किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।
2. पीला बुखार और मलेरिया गुर्दे के कार्यो में बाधा डालते है, जिससे गुर्दे की खराबी का खतरा बढ़ जाता है।
3. जो लोग कोकेन और हेरोइन जैसे मादक द्रव्य पदार्थो का सेवन करते है, उनमे यह रोग अधिक देखने को मिलता है।
4. जिन बच्चो के गुर्दो का विकास गर्भ में सही प्रकार से नहीं हुआ, उन बच्चो में क्रोनिक किडनी रोग का खतरा बढ़ जाता है।
5. एस्पिरिन और इबुप्रोफे जैसी दवाओं का अधिक सेवन करने से क्रोनिक किडनी रोग (गुर्दे की बीमारी) होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
6. Systemic lupus erythematosus (SLE) की बीमारी होने वाले लोगो में किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।
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क्रोनिक किडनी रोग के लक्षण (Kidney Disease Symptoms in Hindi)
क्रोनिक किडनी रोग (गुर्दे की बीमारी) एक ऐसी बीमारी है, जो बहुत धीमी गति से हमारे शरीर में बढ़ती है। इस रोग की सबसे खतरनाक बात यह है, कि अधिकतर किडनी रोग के लक्षण तब सामने आते है, जब किडनी 75 % तक काम करना बंद कर देती है।
एक किडनी खराब होने पर दूसरी किडनी सामान्य रूप से कार्य करना शुरू कर देती है, जिससे किडनी की खराबी का शुरूआती अवस्था में पता लगाना कठिन हो जाता है। निचे किडनी रोग के सामान्य लक्षण दिए गए है, जिससे इस रोग का समय से पता लगाने में आसानी होगी।
- मांसपेशियों में झनझनाहट और ऐंठन
- एडिमा रोग होना
- शारीरिक थकान
- बार बार पेशाब आना
- अचानक वजन में कमी
- बार बार सिरदर्द होना
- जीभ का स्वाद बिगड़ना
- चिड़चिड़ापन
- भूख ना लगना या कम लगना
- शरीर में खून की कमी
- बार बार जी मिचलाना
- त्वचा में खुजली होना
- पेशाब के साथ खून आना
- मुंह से बदबू आना
- हाई ब्लड प्रेशर
- साँस लेने में तकलीफ
- पेशाब का रंग गहरा होना
- पेशाब के साथ प्रोटीन आना
- नींद ना आना
- नपुंसकता
- पेशाब की मात्रा कम होना
- मानसिक सतर्कता का अभाव या कमी
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किडनी रोग से बचने के उपाय (Prevention of Chronic Kidney Disease in Hindi)
1. किडनी की बीमारियों से बचने के लिए पेशाब को रोककर ना रखे। पेशाब आने पर बिना रोके तुरंत पेशाब करे। पेशाब रोकने से किडनी से जुडी कई बीमारियां हो सकती है।
2. किडनी रोग से बचने के लिए नमक का सेवन अधिक मात्रा में ना करे। अधिक मात्रा में नमक का सेवन शरीर और किडनी के लिए अनेक प्रकार से खतरनाक है।
3. पानी अधिक पीने से किडनी शरीर में मौजदू सभी प्रकार के विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकाल देती है। पानी पर्याप्त मात्रा में पीने से शरीर का संतुलन भी बना रहता है और पाचन भी ठीक तरीके से होता है। किडनी को सभी प्रकार के रोगो से बचाने के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में पियें।
4. हृदय रोग, मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्वास्थ्य समस्या होने पर डॉक्टर से समय समय पर जाँच कराते रहे और डॉक्टर द्वारा दी गयी दवा और निर्देशों का पूरी तरह पालन करे।
5. दवा का अधिक सेवन किडनी पर बुरा असर डालता है, जिससे अनेक प्रकार के किडनी रोग होने का खतरा पैदा हो जाता है। किडनी रोग से बचने के लिए दवा का अधिक सेवन ना करे। बहुत अधिक जरूरत होने पर डॉक्टर की सलाह अनुसार ही दवा का सेवन करे।
6. किडनी रोग से बचने के लिए संतुलित आहार का सेवन करे। अपने आहार में फलो और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करे।
7. किडनी रोग से बचाव के लिए पेय पदार्थो का सेवन अधिक करे। कोल्डड्रिंक के स्थान पर घर पर फलो का ताजा जूस निकालकर पिए।
8. किडनी रोग से बचने और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना व्यायाम और योग करे। नियमित रूप से व्यायाम और योग करने से आप किडनी रोग से बच सकते है और अपने शरीर को पूरी तरह सेहतमदं बनाये रख सकते है।
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गुर्दे की बीमारी का परीक्षण (Kidney Disease Test in Hindi)
छाती का एक्स-रे (Chest X-ray) – छाती का एक्स-रे करके डॉक्टर पल्मोनरी एडिमा की जाँच करते है। पल्मोनरी एडिमा फेफड़ो में तरल पदार्थ बनाये रखता है।
मूत्र परीक्षण (Urine Test) – रक्त में प्रोटीन या मूत्र का पता लगाने के लिए डॉक्टर मूत्र परीक्षण करने की सलाह देते है।
किडनी बायोप्सी (Kidney Biopsy) – किडनी बायोप्सी के माध्यम से सेल्स को हुए नुकसान की जाँच गुर्दे के ऊतकों का छोटा नमूना लेकर की जाती है। किडनी बायोप्सी के माध्यम से बीमारी का सही निदान किया जा सकता है।
रक्त परीक्षण (Blood Test) – शरीर में मौजदू अपशिष्ट पदार्थ अच्छी तरह फ़िल्टर हो रहे है या नहीं ? इस बात का पता लगाने के लिए डॉक्टर रक्त परीक्षण करते है। क्रिएटिनिन और यूरिया का स्तर लगातार बढ़ने पर डॉक्टर किडनी की खराबी के अंतिम चरण का निदान करते है।
किडनी स्कैन (Kidney Scan) – किडनी स्कैन के माध्यम से डॉक्टर मूत्र प्रवाह में रुकावट का पता लगाते है। किडनी स्कैन में माध्यम से गुर्दे के आकार का अनुमान भी मिल जाता है। गुर्दे की खराबी होने पर गुर्दे के आकार में परिवर्तन आने लगता है।
ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर (Glomerular Filtration Rate) – जीएफआर परीक्षण के माध्यम से डॉक्टर ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर को मापते है। इसके माध्यम से डॉक्टर मरीज के मूत्र और रक्त के अपशिष्ट उत्पादों के स्तर का मापन करते है।
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किडनी रोग के जोखिम (Risk of Kidney Disease in Hindi)
1. अथेरोस्क्लेरोसिस बीमारी किडनी रोग के जोखिम को बढ़ा देती है।
2. क्रोनिक ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस किडनी रोग के जोखिम का कारण है।
3. उच्च रक्तचाप किडनी रोग के जोखिम को बढ़ा देता है।
4. बढ़ती उम्र क्रोनिक किडनी रोग के जोखिम का मुख्य कारण है। 60 साल की उम्र पार करने के बाद किडनी खराब होना सामान्य है।
5. जन्मजात किडनी रोग होने पर किडनी रोग का जोखिम बढ़ जाता है।
6. पारिवारिक इतिहास किडनी रोग के जोखिम को बढ़ा देता है, अर्थात अगर आपके परिवार में किसी को किडनी रोग रहा है, तो आपमें यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
7. मूत्राशय में बार बार रुकावट किडनी रोग के जोखिम को बढ़ा देती है।
8. मधुमेह क्रोनिक किडनी रोग (गुर्दे की बीमारी) के खतरे को बढ़ा देता है।
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किडनी रोग की जटिलतायें (Complications of Kidney Disease in Hindi)
- शरीर में खून की कमी होना।
- त्वचा के रंग में परिवर्तन होना या त्वचा का शुष्क होना।
- अनिद्रा की समस्या होना।
- पेट में अल्सर की समस्या होना।
- हड्डियों में कमजोरी आना।
- केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को हानि होना या पूरी तरह नष्ट होना।
- पुरुषो में नपुंसकता की समस्या होना।
- प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना
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किडनी रोग का उपचार (Kidney Disease Treatment in Hindi)
1. सेब के सिरके में किडनी को सभी प्रकार के जीवाणु संक्रमण से बचाने वाले एंटी बैक्टीरियल तत्व पाये जाते है। सेब के सिरके के सेवन से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाते है।
2. खून में एसिडिटी बनने के कारण किडनी से जुडी अनेक बीमारियां होती है। खाने का सोडा ब्लड में बनने वाली एसिडिटी को ख़त्म करने का काम करता है। इस प्रकार खाने के सोडे के सेवन से किडनी को अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है।
3. पानी शरीर और किडनी दोनों को स्वस्थ रखने के बहुत जरुरी है। ऐसे में पानी का पर्याप्त मात्रा में सेवन बहुत जरुरी है। पानी का पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से शरीर में मौजूद सभी हानिकारक पदार्थ पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाते है।
4. रात को सोने से पहले पीने के पानी में कुछ मुनक्खा भिगोकर रख दे। अगले दिन सुबह मुनक्खा पानी से निकालकर चबाकर खाये और ऊपर से जिस पानी में मुनक्खा भिगोये थे वो पानी पी जाये।
5. किडनी रोगो से बचने और किडनी को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना ताज़ी सब्जियों का जूस पियें। सब्जियों के जूस का सेवन किडनी को सभी प्रकार के सेवन से बचाता है।
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किडनी रोग का आयुर्वेदिक उपचार (Kidney Disease Treatment by Ayurveda in Hindi)
1. 250 ग्राम गोखरू कांटा को चार लीटर पानी में डालकर जब तक उबाले जब तक पानी एक लीटर रह जाये। अब इस पानी को किसी बोतल में भरकर रख दे। अब इस पानी को 100 ग्राम की मात्रा में रोजाना सेवन करे। ध्यान रखे इसके सेवन के एक से दो घंटे के बाद तक किसी अन्य चीज का सेवन ना करे।
2. एक गिलास पानी में पीपल और नीम की छाल डालकर उबाले। जब पानी उबलते उबलते आधा रह जाये, तब इसे छलनी से छानकर अलग कर ले। अब इस पानी को रोजाना कुछ दिनों तक दो से तीन बार पियें।
3. किडनी से जुडी सभी प्रकार की बीमारियों को दूर करके के लिए कासनी का सेवन करे। कासनी एक छोटा पौधा है, जो किडनी रोग सहित अनेक प्रकार के रोगो के इलाज में सहायक है। किडनी रोग से छुटकारा पाने के लिए रोजाना इस पौधे की पत्तियां चबाकर खाये।
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