Jaundice In Hindi – पीलिया के लक्षण, कारण और इलाज
Jaundice in Hindi : पीलिया ”चिकित्सा शब्द है जो त्वचा और आंखों के पीलेपन का वर्णन करता है। पीलिया अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह कई संभावित अंतर्निहित बीमारियों का लक्षण है।
आपके सिस्टम में बहुत अधिक बिलीरुबिन होने पर पीलिया हो जाता है। बिलीरुबिन एक पीला रंगद्रव्य है जो मृत लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बनता है।

पीलिया आपके लाल रक्त कोशिकाओं, लीवर, पैंक्रियास या गॉलबडर के कार्य के साथ एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
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विषय-सूची
- 1 पीलिया क्या है (Jaundice in Hindi):-
- 2 पीलिया के लक्षण – symptoms of jaundice in Hindi
- 3 पीलिया के कारण – causes of jaundice in Hindi
- 4 पीलिया का इलाज – Treatment of jaundice in Hindi
- 5 पीलिया कितने प्रकार का होता है (Types of jaundice in Hindi)
- 6 पीलिया रोग कैसे फैलता है (How does jaundice spread in Hindi)
- 7 पीलिया रोग किसे हो सकता है (Who is prone to jaundice in Hindi)
- 8 पीलिया रोग की जटिलताएं (Complications of jaundice in Hindi)
- 9 पीलिया का जांच कैसे किया जाता है (How is jaundice diagnosed in Hindi)
- 10 पीलिया रोग का उपचार (Jaundice treatment in Hindi)
- 11 पीलिया में क्या खाना चाहिए (Diet for jaundice in Hindi)
- 12 पीलिया में क्या नहीं खाना चाहिए?
- 13 पीलिया रोग की रोकथाम एवं बचाव (Prevention of jaundice in Hindi)
- 14 पीलिया होने पर डॉक्टर से कब मिलें (When to see doctor for jaundice in Hindi)
- 15 पीलिया से शरीर को होने वाले नुकसान क्या हैं?
- 16 योग के माध्यम से पीलिया हो दूर
- 17 पीलिया का घरेलू इलाज
- 18 पीलिये के नुख्से –
- 19 This Advice:-
- 20 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पीलिया क्या है (Jaundice in Hindi):-
Jaundice in Hindi: पीलिया एक बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है। बिलीरुबिन का निर्माण शरीर के उत्तकों और खून में होता है। आमतौर पर जब किसी कारणों से लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होता है।
बिलीरुबिन लिवर से फिलटर होकर शरीर से बाहर निकलता है, लेकिन जब किसी कारणों से यह खून से लिवर में नहीं जाता है या लिवर द्वारा फिलटर नहीं होता है तो शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाती है जिससे पीलिया (Jaundice in Hindi ) होता है।
यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें टोटल सीरम बिलीरुबिन का स्तर तीन मिलीग्राम प्रति डेसिमिटार से अधिक हो जाता है। पीलिया के मुख्य लक्षणों में आंख के सफेद हिस्सा का पीला होना है।
अधिकतर मामलों में पीलिया नवजात शिशुओं को होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह वयस्कों को भी हो सकता है। इसके लक्षणों के आधार पर डॉक्टर पीलिया के प्रकार की पुष्टि कर इलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
समय पर पीलिया का इलाज नहीं कराने पर सेप्सिस हो सकता है और कुछ मामलों में लिवर फेल हो सकता है। इसलिए समय पर इसका उचित इलाज आवश्यक है।
इस ब्लॉग में हम (Jaundice in Hindi ) पीलिया क्या होता है, इसके क्या कारण और लक्षण हैं तथा इसका इलाज कैसे होता है आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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पीलिया के लक्षण – symptoms of jaundice in Hindi
पीली टिंटेड त्वचा और आँखें पीलिया की विशेषता होती हैं। अधिक गंभीर मामलों में, आपकी आंखों भूरे या नारंगी हो सकते हैं, आपको गहरे रंग का मूत्र और पीला मल भी हो सकता है।
यदि वायरल हेपेटाइटिस जैसी एक अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थिति पीलिया के लिए दोषी है, तो आप अत्यधिक थकान और उल्टी सहित अन्य लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं।
यदि आपकी केवल त्वचा पीली है, तो यह आपके सिस्टम में बहुत अधिक बीटा कैरोटीन होने के कारण हो सकता है। बीटा कैरोटीन एक एंटीऑक्सिडेंट है जो गाजर, कद्दू और मीठे आलू जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। इस एंटीऑक्सिडेंट की अधिकता पीलिया का कारण नहीं है।
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पीलिया के कारण – causes of jaundice in Hindi
पुरानी लाल रक्त कोशिकाएं आपके लीवर में जाकर टूटती है या नष्ट होती है जिसके कारण बिलीरुबिन बनता है।
पीलिया तब होता है जब आपका लीवर बिलीरुबिन को मेटाबोलाइज़ नहीं करता है जिस तरह से उसे करना चाहिए।
वयस्कों में पीलिया का संकेत है:
- शराब का दुरुपयोग
- यकृत कैंसर (लीवर)
- थैलेसीमिया
- सिरोसिस (लिवर का खराब होना, आमतौर पर शराब के कारण)
- पित्ताशय (गाल ब्लैडर) की पथरी (कोलेस्ट्रोल की पथरी, कठोर वसा पदार्थ या बिलीरुबिन से बने पिगमेंट की पथरी)
- हेपेटाइटिस ए
- हेपेटाइटिस बी
- हेपेटाइटिस सी
- हेपेटाइटिस डी
- हेपेटाइटिस ई
- अग्न्याशय (पैंक्रियास) का कैंसर
- G6PD की कमी
- पित्त (पित्त नली) रुकावट
- दरांती कोशिका अरक्तता (सिकल सेल एनीमिया)
- एक्यूट पैंक्रियाटिटीज
- एबीओ असंगतता प्रतिक्रिया
- पीला बुखार
- वील की बीमारी
- अन्य रक्त विकार जैसे हेमोलिटिक एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं का टूटना या विनाश जो आपके संचलन में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या को कम कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप थकान और कमजोरी होती है)
- किसी दवा के प्रतिकूल प्रतिक्रिया या ओवरडोज
पीलिया नवजात शिशुओं में अक्सर होने वाली घटना है, खासकर उन बच्चों में जो समय से पहले जन्म लेते हैं। बिलीरुबिन की अधिकता नवजात शिशुओं में विकसित हो सकती है क्योंकि उनके लिवर अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं।
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पीलिया का इलाज – Treatment of jaundice in Hindi
Jaundice in Hindi: पीलिया अपने आप में एक बीमारी नहीं है, लेकिन कई संभावित अंतर्निहित बीमारियों का एक लक्षण है। आपके डॉक्टर पीलिया के लिए किस प्रकार के उपचार की सलाह देते हैं, यह इसके कारण पर निर्भर करता है। डॉक्टर पीलिया के कारण का इलाज करेंगे और एक बार उपचार शुरू हो जाने के बाद, आपकी पीली त्वचा अपने सामान्य अवस्था में वापस आ जाएगी
शिशुओं में अधिकांश पीलिया के मामले एक से दो सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।
मॉडरेट पीलिया का उपचार आमतौर पर अस्पताल में या घर में अतिरिक्त बिलीरुबिन को हटाने में फोटोथेरेपी के साथ किया जाता है।
पीलिया के गंभीर मामलों में बिलीरुबिन को हटाने के लिए रक्त संक्रमण (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) के साथ इलाज किया जाता है।
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पीलिया कितने प्रकार का होता है (Types of jaundice in Hindi)
Jaundice in Hindi: पीलिया के मुख्य तीन प्रकार होते हैं जिसमें प्री-हिपेटिक पीलिया, पोस्ट-हिपेटिक पीलिया और हेपैटोसेलुलर पीलिया शामिल हैं। प्री-हिपेटिक पीलिया को हेमोलिटिक पीलिया के नाम से भी जाना जाता है।
लक्षणों के आधार पर डॉक्टर पहले मरीज की जांच करके पीलिया के प्रकार की पुष्टि करते हैं। उसके बाद, इलाज की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
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पीलिया रोग कैसे फैलता है (How does jaundice spread in Hindi)
पीलिया के वायरस मरीज के मल में मौजूद होते हैं जिसके कारण इस बीमारी का प्रसार हो सकता है। साथ ही, दूषित पानी, दूध और खानपान की दूसरी चीजों के जरिए भी पीलिया रोग फैल सकता है।
अगर आप खुद को इस बीमारी से दूर रखना चाहते हैं तो आपको अपने आसपास साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, खानपान की चीजों का सेवन करने से पहले उन्हें अच्छी तरह धोना चाहिए ताकि पीलिया या दूसरी बीमारी एवं संक्रमण का खतरा न हो।
पीलिया रोग किसे हो सकता है (Who is prone to jaundice in Hindi)
Jaundice in Hindi: 37 सप्ताह या 8.5 महीने से पहले जन्मे शिशु को पीलिया का खतरा अधिक होता है, क्योंकि अभी तक उनका लिवर पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता है। साथ ही, जिन शिशुओं को मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है उन्हें भी इस बीमारी का खतरा होता है।
इन सबके अलावा, जिन शिशुओं में निम्न समस्याएं होती हैं उनमें भी पीलिया होने का खतरा अधिक होता है:-
- सेप्सिस संक्रमण
- आंतरिक रक्तस्राव
- शिशु में लिवर की समस्या
- जन्म के दौरान शिशु को चोट लगना
- शिशु की लाल रक्त कोशिकाओं में समस्या
- खून के प्रकार का अलग होना, जैसे आरएच रोग
- आनुवंशिक समस्या, जैसे कि जी6पीडी की कमी
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पीलिया रोग की जटिलताएं (Complications of jaundice in Hindi)
पीलिया की जटिलताएं इसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करती हैं। पीलिया की संभावित जटिलताओं में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
- एनीमिया
- ब्लीडिंग
- इंफेक्शन
- क्रोनिक हेपेटाइटिस
- हेपेटिक एंसेफैलोपैथी
- कुछ मामलों में लिवर फेल होना
पीलिया का जांच कैसे किया जाता है (How is jaundice diagnosed in Hindi)
Jaundice in Hindi: पीलिया का जांच कई तरह से किया जाता है। पीलिया का निदान करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर निम्न जांच करने का सुझाव देते हैं:-
- बिलीरुबिन टेस्ट
- कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट
- हेपेटाइटिस ए, बी और सी की जांच
- एमआरआई स्कैन
- अल्ट्रासाउंड
- सिटी स्कैन
- एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलैंजियोंपैंक्रिटोग्राफी
- लिवर बायोप्सी
डॉक्टर कौन सा जांच करते हैं यह मरीज के लक्षण, पीलिया के प्रकार और उम्र आदि पर निर्भर करता है।
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पीलिया रोग का उपचार (Jaundice treatment in Hindi)
Jaundice in Hindi: पीलिया का इलाज (jaundice ka ilaj) इसके कारण पर निर्भर करता है। इस बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर अनेको उपचार विकल्पों का चयन कर सकते हैं जिसमें दवाओं का सेवन, सर्जरी, जीवनशैली और डाइट में बदलाव आदि शामिल हैं।
पीलिया में क्या खाना चाहिए (Diet for jaundice in Hindi)
पीलिया होने पर आपको अपने खान-पान का ख़ास ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं पीलिया में आपका खान-पान कैसा होना चाहिए।
- फलों का जूस पीएं
- ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं
- ताजा और शुद्ध भोजन करें
- थोड़ा-थोड़ा खान दिन में 4-6 बार खाएं
- खाना खाने से पहले अच्छी तरह हाथों को धोएं
इन सबके अलावा, आप अपनी डाइट में निम्नलिखित चीजों को शामिल का सकते हैं:-
- दही
- मूली
- प्याज
- पपीता
- तुलसी
- टमाटर
- छाछ मट्ठा
- नारियल पानी
- धनिया का बीज
- गिलोय और शहद
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पीलिया में क्या नहीं खाना चाहिए?
पीलिया से पीड़ित होने की स्थिति में आपको कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-
- बाहर का खाना न खाएं
- दाल और बिन्स न खाएं
- मक्खन से परहेज करें
- ज्यादा मेहनत करने से बचें
- एक साथ ढेर (अधिक मात्रा में) खाना न खाएं
- कॉफी और चाय से परहेज करें
- ज्यादा तीखा या तैलीय चीजें न खाएं
- अंडा, मीट, चिकन और मछली का सेवन न करें
पीलिया रोग की रोकथाम एवं बचाव (Prevention of jaundice in Hindi)
Jaundice in Hindi: कुछ खास सावधानियां बरतकर पीलिया से बचा जा सकता है। डॉक्टर के अनुसार, पीलिया का बचाव करने के लिए लिवर का स्वस्थ होना अतिआवश्यक है, क्योंकि यही पाचक रस का उत्पादन करता है जो भोजन को हजम करने में मदद करता है।
साथ ही, लिवर खून में थक्का बनने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। निम्न बातों का पालन कर लिवर को स्वस्थ रखा जा सकता है जो पीलिया की रोकथाम में मदद करेगा।
- डाइट:- संतुलित साइट लिवर को स्वस्थ बनाने में मदद करता है। अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों को शामिल करें।
- व्यायाम:- रोजाना सुबह या शाम में हल्का-फुल्का व्यायाम आपके लिवर को स्वस्थ बनाने में अहम भूमिका निभाता है। अगर आप निष्क्रिय जीवन जीते हैं तो आपको हल्का-फुल्का व्यायाम शुरू कर देना चाहिए।
- स्वस्छता:- दैनिक जीवन में साफ़-सफाई का खास ध्यान रखें। साफ पानी पीएं और साफ फलों एवं सब्जियों का सेवन करें।
- शराब:- शराब का सेवन सबसे अधिक लिवर पर बुरा प्रभाव डालता है। अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो आपको पीलिया होने का खतरा है। पीलिया से बचने के लिए आपको शराब का सेवन सीमित या बंद करना चाहिए।
अगर आप ऊपर दिए गए बिंदुओं का पालन करते हैं तो पीलिया का बचाव करना संभव है।
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पीलिया होने पर डॉक्टर से कब मिलें (When to see doctor for jaundice in Hindi)
अगर आप खुद में पीलिया के निम्न लक्षणों को अनुभव करते हैं तो आपको जल्द से जल्द एक विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
- आंखों में पीलापन आना
- त्वचा का पीला पड़ना
- जल्दी थकान महसूस होना
- पेट में दर्द होना
- वजन घटना
- भूख न लगना
- बुखार आना
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पीलिया से शरीर को होने वाले नुकसान क्या हैं?
Jaundice in Hindi: अगर पीलिया की बीमारी बढ़ जाए तो व्यक्ति को एनीमिया, लिवर का फेल हो जाना, रक्त स्राव, क्रॉनिक हेपिटाइटिस, हैपेटिक, एन्सेफेलोपैथी आदि समस्या देखने को मिलती है।
योग के माध्यम से पीलिया हो दूर
पीलिया के मरीज को आराम करने की सलाह दी जाती है। ऐसे समय में उन्हें मेहनत करने की सलाह नहीं देते हैं। दिन में सोने से बचें। साथ ही मृत्यासन से पीलिया के रोग से व्यक्ति को उबरने में मदद मिलेगी। पीड़ित प्राणायाम, शवासन, भुजंगासन, उत्तानपादासन आदि को भी कर सकते हैं।
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पीलिया का घरेलू इलाज
Jaundice in Hindi: पीलिया एक आम यकृत विकार हैं, जोकि कई असामान्य चिकित्सा कारणों की वजह से से हो सकते हैं। पीलिया होने पर किसी व्यक्ति को सिर दर्द, लो-ग्रेड बुखार, मतली और उल्टी, भूख कम लगना, त्वचा में खुजली और थकान आदि लक्षण होते हैं।
त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। इसमें मल पीला और मूत्र गाड़ा हो जाता है। हालांकि ऐसे में कुछ घरेलू उपचार आपकी काफी मदद कर सकते हैं। ऐसे में आप कुछ आहारों का सेवन करके भी पीलिया का मात दे सकते हैं।
मूली का रस व पत्ते
मूली के हरे पत्ते पीलिया में लाभदायक होते है। यही नहीं मूली के रस में भी इतनी ताकत होती है कि यह खून और लीवर से अत्यधिक बिलिरूबीन को निकाल सके। पीलिया या हेपेटाइटिस में रोगी को दिन में 2 से 3 गिलास मूली का रस जरुर पीना चाहिये। या फिर इसके पत्ते पीसकर उनका रस निकालकर व छानकर पीएं।
आंवला
आवंले में भी विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। कमालकी बात तो यह है कि, आप आमले को कच्चा या फिर सुखा कर खा सकते हैं। इसके अलावा जूस के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
नीम
नीम में कई प्रकार के वायरल विरोधी घटक पाए जाते हैं, जिस वजह से यह हेपेटाइटिस के इलाज में उपयोगी होता है। यह जिगर में उत्पन्न विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने में भी सक्षण होता है। इसकी पत्तयों के रस में शहद मिलाकर सुबह-सुबह पियें।
नींबू
नींबू के रस को पानी में निचोड़ कर पीने से पेट साफ होता है। इसे रोज खाली पेट सुबह पीना पीलिया में सही होता है। इसके अवाला पाइनएप्पल भी लाभदायक होता है। पाइनएप्पल अंदर से पेट के सिस्टम को साफ रखता है।
अर्जुन की छाल
अर्जुन के पेड़ की छाल, दिल और मूत्र प्रणाली को अच्छा बनाने के लिए जानी जाती है। हालांकि, इसमें मौजूद एल्कलॉइड जिगर में कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को विनियमित करने की क्षमता भी रखता है। और यह गुण इसे हैपेटाइटिस के खिलाफ एक मूल्यवान दवा बनाता है।
हल्दी
देश के कुछ भागों में, लोगों को यह ग़लतफ़हमी है कि, क्योंकि हल्दी का रंग पीला होता है, पीलिया के रोगी को इसाक सेवन नहीं करना चाहिए।
हालांकि यह एक कमाल का एंटी-इन्फ्लेमेट्री, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव वाली तथा बढ़े हुए यकृत नलिकाओं को हटाने वाली होती है। हल्दी हैपेटाइटिस के खिलाफ सबसे प्रभावी उपायों में से एक है।
टमाटर का रस
टमाटर का रस पीलिया में बेहद लाभदायक होता है। इसमें विटामिन सी पाया जाता है, जिस वजह से यह लाइकोपीन (एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट) में रिच होता है। इसके रस में थोड़ा नमक और काली मिर्च मिलाकर पीयें।
फैट युक्त आहार से बचें
फैट और एल्कोहल के रूप में ढेर सारी कैलॉरी लेने के कारण यह लिवर के इर्द-गिर्द जमा हो जाती है, जिससे कोशिकाओं संबंधी क्षति हो सकती है और इसके महत्वपूर्ण कार्यों में व्यवधान डाल सकती है।
और फैट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें क्योंकि पीलिया के स्तर को और अधिक बढ़ा देते हैं। साथ ही पीलिया के रोगियों को मैदा, मिठाइयां, तले हुए पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले, उड़द की दाल, खोया, मिठाइयां नहीं खाना चाहिए। इसलिए पीलिया में इनसे दूर रहना चाहिए क्योंकि पीलिया की समस्या लिवर में गड़बड़ी के कारण होती है।
नमक और कॉफी के सेवन से बचें
पीलिया से बचने के लिए नमक से दूर रहने के सलाह दी जाती है। नियमित आधार पर नमक का सेवन लीवर की कोशिकाओं की क्षति को बढ़ाता है।
यह पीलिया की रिकवरी को कम करता है। इसलिए अचार जैसे नमक युक्त खाद्य पदार्थों से बचें। इसके अलावा पीलिया होने पर चाय और कॉफी जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए। कैफीन से दूर रहकर पीलिया रोगी तेजी से रिवकरी कर सकता है।
मीट और अंडे के सेवन से बचें
हालांकि यह पीलिया के मूल कारण पर निर्भर करता है, कि प्रोटीन की मात्रा को सीमित करना फायदेमंद हो सकता है या नहीं। टर्की, चिकन और मछली जैसे लीन प्रोटीन से बचना चाहिए। लेकिन बींस, नट्स और टोफॅ जैसे वनस्पति प्रोटीन को शमिल किया जाना चाहिए।
लीनर प्रोटीन को ध्यान में रखते हुए संतृप्त फैट का सेवन कम किया जाना चाहिए। इसके अलावा अंडे में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन और फैट होता है जो पचाने में बहुत मुश्किल होता है। चूंकि लीवर प्रोटीन चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए अंडे के रूप में प्रोटीन युक्त आहार से परहेज किया जाना चाहिए।
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पीलिये के नुख्से –
- फिटकरी को भूनकर बारीक पीसकर शीशी में सुरक्षित कर लें। इसे एक से तीन ग्राम की मात्रा में 20 ग्राम दही में मिलाकर सेवन करें। दिन में कई बार केवल दही खाते रहें। यदि दही उपलब्ध नहीं हो तो छाछ लें। एक सप्ताह में आप पूरी तरह ठीक हो जाएंगे।
- सफेद चंदन 5 ग्राम, हल्दी पिसी हुई 6 ग्राम लें और दोनों को शहद में मिलाकर सात दिन तक चाटें।
- मूली के हरे रंग का रस 450 ग्राम में चीनी इतना मिला लें कि मीठा हो जाएं। इसके बाद साफ कपड़े से छानकर पिएं। पीते ही लाभ मिलेगा। मात्र सात दिन में रोग जड़ से नष्ट हो जाएगा।
- गिलोय की लता गले में लपेटने से भी फायदा होता है।
- गिलोय के अर्क 50 ग्राम में 20 ग्राम शहद मिलाकर पीना पीलिया रोग में अत्यंत लाभकारी है।
- टमाटर के 100 ग्राम रस में 3 ग्राम काला नमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
- कड़वी तोरई का रस 2-3 बूंद नाक में चढ़ा लें । दवा अंदर जाते ही पीले रंग का पानी निकलना प्रारंभ हो जाएगा। पानी निकलकर कर रोगी एक ही दिन में ठीक हो जाता है।
- फिटकरी कच्ची 20 ग्राम बारीक पीसकर 21 पुड़िया बनाकर प्रतिदिन एक पुड़िया मक्खन के साथ सेवन करें। पुराने से पुराना पीलिया जड़ से खत्म होगा।
- बढ़िया सफेद फिटकरी भूनकर बारीक पीसकर किसी साफ शीशी में सुरक्षित रख लें । यदि पीलिया रोग एक माह से अधिक समय से है तो पहले दिन 1 ग्राम, दूसरे दिन 2 ग्राम, तीसरे दिन 3 ग्राम और उसके बाद 3 ग्राम नित्य फांककर ऊपर से दही का एक प्याला पी लें। मात्र सात दिनों में ही पुराने से पुराना रोग जड़ से नष्ट हो जाएगा ।
- अरंड के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम तक गाय के कच्चे दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें। इसके सेवन से 3 से 7 दिनों में पीलिया नष्ट हो जाता है।
This Advice:-
इस प्रयोग से यदि किसी को दस्त आने लग जाए तब भी चिन्ता न करें। दही और चावल खाएं। अगर दस्त साफ न होता हो दूध अधिक मात्रा में लें। रोटी बिल्कुल न खाएं। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. पीलिया रोग की पहचान कैसे करें? |
पीलिया के सबसे मुख्य लक्षणों में आंखों के सफेद हिस्से का पीला पड़ना है। अगर आपकी आंखें पीली हो गयी हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर आपके लक्षणों और जांच की मदद से पीलिया की पुष्टि करते हैं। |
Q. पीलिया के लिए कौन सा टेस्ट होता है? |
पीलिया के लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं जिसमें बिलीरुबिन टेस्ट, कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट, हेपेटाइटिस ए, बी और सी की जांच, एमआरआई स्कैन, अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलैंजियोंपैंक्रिटोग्राफी और लिवर बायोप्सी आदि शामिल हैं। |
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