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भगंदर का आयुर्वेदिक इलाज क्या है ?
भगन्दर एक खतरनाक बीमारी है। इस बीमारी का जन्म लम्बे समय तक चलने वाली बवासीर के कारण होता है। इसका अर्थ है, कि बहुत पुरानी बवासीर भगन्दर रोग को जन्म देती है। ऐसे में बवासीर का समय से इलाज कराना बहुत जरुरी है, क्योंकि पुरानी बवासीर के कारण भगन्दर रोग हो जाता है।
भगन्दर का इलाज भी समय से कराना बहुत जरुरी है, क्योंकि भगन्दर का इलाज समय से ना होने पर यह खतरनाक बीमारी कैंसर का जन्म ले लेता है। भगन्दर के कारण होने वाले कैंसर को रिक्टम केंसर कहते है। रिक्टम केंसर होने की संभावना वैसे काफी कम होती है, लेकिन जब यह होता है, तब यह खतरनाक रूप ले लेता है।

भगन्दर नाड़ी में होने वाली बीमारी है, जो मलाशय और गुदा के पास के भाग में होती है। बदलती जीवनशैली इस रोग का मुख्य कारण है। भगन्दर रोग से बचने के लिए हमे अपनी जीवन शैली में बदलाव लाना होगा और खाने पीने की गलत आदतों को सुधारना होगा।
भगन्दर रोग होने पर रोगी को बहुत दर्द होता है, क्योंकि इस बीमारी में गुदा के आस पास छोटे छोटे दाने निकलते है और फिर वो दाने फूटने लगते है। भगन्दर की बीमारी अगर बहुत पुरानी हो जाये, तो यह हड्डी में सुराख बना देती है। जिसके कारण हमारी हड्डियों से मवाद निकलती रहती है। कई बार मवाद के साथ साथ खून भी आता है। ऐसे लम्बे समय तक चलने पर इसी रास्ते से मल भी निकलने लगता है।
भगन्दर की बीमारी बहुत खतरनाक और कष्टदायक होती है। इस बीमारी की सबसे खतरनाक बात यह है, कि यह बीमारी जल्दी से ठीक नहीं हो पाती। भगन्दर को फिस्टुला इन एनो और फिस्टुला भी कहते है। इस रोग के कारण मरीज चिड़चिड़ा हो जाता है। भगन्दर की बीमारी में रोगी को अपने खान पान पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
भगन्दर का इलाज अनेक प्रकार से किया जा सकता है, लेकिन होम्योपैथिक के माध्यम से इसका इलाज करना सबसे अच्छा है। होम्योपैथिक दवाओं के माध्यम से किसी भी बीमारी का इलाज लम्बे समय तक चलता है, लेकिन ये होम्योपैथिक दवाएं बीमारी जो जड़ से ख़त्म कर देती है। आजकल लोग होम्योपैथिक पर इसी लिए अधिक भरोसा कर रहे है।
इसके साथ ही आप भगंदर का आयुर्वेदिक इलाज भी कर सकते है। कई ऐसी होम्योपैथिक दवा है, जिनसे भगन्दर का इलाज आसानी से किया जा सकता है। होम्योपैथिक दवा का सबसे बड़ा फायदा ये होता है, कि ये शरीर के लिए किसी भी प्रकार से नुकसानदायक नहीं होती। तो चलिए जाने भगन्दर का होम्योपैथिक इलाज कैसे करे।
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भगंदर का आयुर्वेदिक इलाज (Bhagandar ka Homeopathic Ilaj)
माइरिस्टिका 3x – अगर हिपर सल्फर दवा का इस्तेमाल करने के बाद भी रोगी को भगन्दर के कारण होने वाले दर्द से आराम नहीं मिल रहा, तो माइरिस्टिका 3x दवा का सेवन करे। इस दवा का सेवन से रोगी को आराम जरूर मिलेगा।
बबॅरिस वल्गैरिस 30 – अगर मरीज को बैठने में दिक्कत हो, गुदा मार्ग में खुजली हो या फिर भगन्दर वाले स्थान पर छूने में दर्द हो, तो इस दवा का सेवन कुछ दिनों तक करे। इस दवा के सेवन से रोगी को बहुत आराम मिलेगा।
साइलीशिया 200, 1M – साइलीशिया 200 भगन्दर के इलाज की बढ़िया होम्योपैथिक दवा है। मल त्यागने या चलने फिरने में दर्द होने या फोड़े से पतली और गंध वाली मवाद निकलने पर इस होम्योपैथिक दवा का इस्तेमाल करना चाहिए। इस होम्योपैथिक दवा के इस्तेमाल से भगन्दर के कारण होने वाली ये सभी परेशानियां दूर हो जायेगी।
हिपर सल्फर 6, 30 – भगन्दर में अधिक दर्द होने पर इस दवा का सेवन कुछ दिनों तक करने से रोगी को बहुत आराम मिलता है और फोड़ो से बिना दर्द मवाद निकल जाती है। जिससे रोगो को बहुत राहत मिलती है।
सल्फर 30, 200 – यह दवा भगन्दर के इलाज में बहुत लाभकारी है। इस दवा के सेवन तब करे, जब मलद्वार में सूजन आ जाये या फिर मल त्याग करने के बाद वहाँ दबाने से दर्द हो।
भगन्दर के लक्षण (Bhagander Ke Lakshan)
- मल त्याग के समय दर्द होना
- संक्रमण के कारण बुखार
- गुदा के पास फोड़ा होना
- मलद्वार के आस पास सूजन
- मलद्वार के रास्ते से खून निकलना
- मलद्वार के आस पास के हिस्से में जलन
- फोड़े से मवाद निकलना
- शरीर में थकान रहना
इस पोस्ट में हमने आपको भगन्दर का इलाज होम्योपैथिक के माध्यम से कैसी करे, इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। भगन्दर रोग का इलाज समय से ना कराना आपके लिए जानलेवा हो सकता है, इसीलिए इस रोग का इलाज समय से जरूर कराये।
भगन्दर होने पर सबसे पहले अपने खान पान की गलत आदतों को सुधारे और अपनी जीवन शैली में बदलाव लाये। खान पान की गलत आदते और ख़राब जीवल शैली इस रोग का सबसे बड़ा कारण है, ऐसे में इसे सुधारना जरुरी है।
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