Sandhi ke kitne bhed hote hain पूरी जानकारी इस आर्टिकल के जरिये आपको बहुत simple examples के साथ बताने के कोशिस करेंगे।
हम यहाँ पर आपके सभी सवालो के जवाब देंगे, जो की Sandhi से सम्बंधित है
हम यहाँ पर इसके Definition, Rules, meaning, Examples, Recognition/Identity या पहचान इत्यादि ke बारे में हम आपको बताएँगे।
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विषय-सूची
- 1 Sandhi ke kitne bhed hote hai
- 2 1. स्वर संधि ;-
- 3 अ . दीर्ध संधि –
- 4 ब. गुण संधि
- 5 2. व्यंजन संधि
- 6 व्यंजन संधि के नियम
- 7 नियम 1;- वर्ग के पहले वर्ण का तीसरे वर्ण में परिवर्तन :–
- 8 नियम 2;- वर्ग के पहले वर्ण का पांचवे वर्ण में परिवर्तन :–
- 9 नियम 3;- ‘ म् ‘ के संबंध में नियम:–
- 10 नियम 4 ;- ‘ त् ‘ के संबंध में नियम:–
- 11 नियम 5 ;- ‘ छ् ‘ के संबंध में नियम:–
- 12 नियम 6 ;- ‘ द् ‘ के संबंध में नियम:–
- 13 नियम 7 ;- ‘ न ‘ के संबंध में नियम:–
- 14 नियम 8 ;- ‘ स् ‘ के संबंध में नियम:–
- 15 3. विसर्ग संधि
- 16 विसर्ग संधि के नियम
- 17 नियम 1 ;-
- 18 नियम 2 ;-
- 19 नियम 3 ;-
- 20 नियम 4 ;-
- 21 नियम 5 ;-
- 22 नियम 6 ;-
- 23 नियम 7 ;-
- 24 नियम 8 ;-
- 25 नियम 9 ;-
- 26 नियम 10 ;-
- 27 संधि पर अभ्यास ;-
- 28 अभ्यास 1 ;-
- 29 Most Asked Q&A
Sandhi ke kitne bhed hote hai
संधि का हिंदी शाब्दिक अर्थ मिलाप भी होता है जैसे अपने कभी कही सुना होगा की किसी राजा ने किसी राजा के साथ संधि कर ली।
ठीक उसी प्रकार से यह भी एक संधि है यहाँ पर भी एक शब्द या स्वर जो की दूसरे शब्द या स्वर से संधि करते है
आइये इसकी परिभाषा को समझते है –
संधि की परिभाषा ;-
दो समीवर्ती वर्गों के मेल से जो विचार बनता है वह संधि कहलाता है
जैसे ;- विद्या + आलय = विद्यालय
इस वाक्य में विद्या और आलय को जोड़कर विद्यालय बनाया गया है जो की संधि का बहुत बढ़िया उदहारण है
आईये इसके और भी उदाहरण देखते है
शिव + आलय = शिवालय
सुन + अंदर = सुन्दर
इस प्रकार से आप खुद भी कुछ संधियों को बनाये जिससे की आपका अभ्यास अच्छा हो सके
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संधि के भेद ;-
संध के मुख्यत : 3 भेद / अंग है जो की इस प्रकार से है
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
अब आईये इन सब संधि के भेद के बारे में कुछ जानकारी हासिल करते है
1. स्वर संधि ;-
नाम से आपको यह ज्ञात हो चूका होगा की इसमें स्वरों का संधि होता है।
आइये इसकी भी परिभाषा देखते है।
स्वर संधि की परिभाषा ;-
जब दो या दो से अधिक स्वरों का मेल होकर किसी नए शब्द का निर्माण करते है तो यह स्वर संधि कहलाती है। ।
स्वर संधि के पांच भेद / अंग होते है। जो की इस प्रकार से है
- दीर्ध संधि
- गुण संधि
- वृद्धि संधि
- यण संधि
- आयादि संधि
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अ . दीर्ध संधि –
जैसा की इसके नाम में ही दीर्ध शब्द का इस्तेमाल किया गया है जिससे यह ज्ञात हो रहा है की यहाँ पर संधि होकर किसी बड़े स्वर का निर्माण होगा
जब ( अ, आ ) के साथ ( अ, आ ) हो तो ‘ आ ‘ बनता है , जब ( इ, ई ) के साथ ( इ, ई ) हो तो ‘ ई ‘ बनता है , जब ( उ, ऊ ) के साथ ( उ, ऊ ) हो तो ‘ ऊ ‘ बनता है। यह इस प्रकार से है
- अ + अ = आ
- आ + अ = आ
- आ + आ = आ
- इ + इ = ई
- ई + इ = ई
- ई + ई = ई
- उ + उ = ऊ
- ऊ + उ = ऊ
- ऊ + ऊ = ऊ
आइये इसके कुछ उदारहण देखते है
उदारहण;- देव + आलय = देवालय
इस वाक्य के पहले हिस्से देव के आखिरी अछर व् का अ और दूसरे वाक्य आलय के पहले अछर आ से पहले वाक्य के अ को मिला देने से आ बनता है जिससे यह देवालय बन गया है
धर्म + अर्थ =
पुस्तक + आलय =
विद्या + अर्थी =
रवि + इंद्र =
गिरी +ईश =
मुनि + ईश =
मुनि +इंद्र =
भानु + उदय =
वधू + ऊर्जा =
विधु + उदय =
भू + उर्जित =
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ब. गुण संधि
इस प्रकार की संधि में ( अ , आ ) के साथ ( इ , ई ) हो तो ‘ ए ‘ बनता है , जब ( अ , आ )के साथ ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ओ ‘बनता है , जब ( अ , आ ) के साथ ( ऋ ) हो तो ‘ अर ‘ बनता है। उसे गुण संधि कहते हैं।
आइये इसे इस प्रकार से भी समझते है
नियम
अ, आ + इ , ई = ए
उ , ऊ + अ , आ = ओ
अ , आ + ऋ = अर
उदारहरण के लिए
नर + इंद्र = नरेंद्र
जैसा की हमने आपको ऊपर बताया है की जब अ और इ मिलते है तो ए का निर्माण होता है ठीक उसी तरह नर के र से अ और इंद्र का इ दोनों मिलकर ए का निर्माण करेंगे जिससे की यह दोनों वाक्य नरेंद्र हो गया है
- रमा + इंद्र = ………
- ……+ ईश = रमेश
- मह + उत्सव =…..
- सुर + इन्द्र =……..
- …….+उपदेश = ज्ञानोपदेश
- भारत +……. = भारतेन्दु
- ……+ ऋषि = देवर्षि
- सर्व + ईक्षण = ……….
अगर आप स्वर संधि के बारे में पूरी जाकारी पाना चाहते है तो आप हमारे संधि के आर्टिकल को पढ़ सकते है
2. व्यंजन संधि
जब किसी व्यंजन को व्यंजन या स्वर के साथ मिला देने से जो बदलाव होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
व्यंजन संधि के कुछ उदाहरण;-
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
सत् + जन = सज्जन
व्यंजन संधि के नियम
आइये इसके कुछ नियमो के बारे में जानते है जिनका प्रयोग संधि के दौरान किया जाता है
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नियम 1;- वर्ग के पहले वर्ण का तीसरे वर्ण में परिवर्तन :–
👉 जब किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या य्, र्, ल्, व्, ह से या किसी स्वर से हो जाये तो क् को ग् , च् को ज् , ट् को ड् , त् को द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है
अगर स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी लेकिन अगर व्यंजन का मिलन होता है तो वे हलन्त ही रहेंगे।
👉 क् के ग् में बदलने के उदहारण :-
- दिक् + अम्बर = दिगम्बर
- दिक् + गज = दिग्गज
- वाक् +ईश = वागीश
- च् के ज् में बदलने के उदहारण :
- अच् +अन्त = अजन्त
- अच् + आदि =अजादी
👉 ट् के ड् में बदलन के उदहारण :–
- षट् + आनन = षडानन
- षट् + यन्त्र = षड्यन्त्र
- षड्दर्शन = षट् + दर्शन
- षड्विकार = षट् + विकार
- षडंग = षट् + अंग
👉 त् के द् में बदलने के उदहारण :-
- तत् + उपरान्त = तदुपरान्त
- सदाशय = सत् + आशय
- तदनन्तर = तत् + अनन्तर
- उद्घाटन = उत् + घाटन
- जगदम्बा = जगत् + अम्बा
👉 प् के ब् में बदलने के उदहारण :-
- अप् + द = अब्द
- अब्ज = अप् + ज
नियम 2;- वर्ग के पहले वर्ण का पांचवे वर्ण में परिवर्तन :–
👉 यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मिलन न या म वर्ण ङ,ञ ज, ण, न, म के साथ हो तो क् को ङ्, च् को ज्, ट् को ण्, त् को न्, तथा प् को म् में बदल दिया जाता है।
👉 क् के ङ् में बदलने के उदहारण :–
- वाक् + मय = वाङ्मय
- दिङ्मण्डल = दिक् + मण्डल
- प्राङ्मुख = प्राक् + मुख
👉 ट् के ण् में बदलने के उदहारण :-
- षट् + मास = षण्मास
- षट् + मूर्ति = षण्मूर्ति
- षण्मुख = षट् + मुख
👉 त् के न् में बदलने के उदहारण :-
उत् + नति = उन्नतिजगत् + नाथ = जगन्नाथउत् + मूलन = उन्मूलन
👉 प् के म् में बदलने के उदहारण :-
- अप् + मय = अम्मय
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नियम 3;- ‘ म् ‘ के संबंध में नियम:–
👉 म् के साथ य, र, ल, व, श, ष, स, ह में से किसी भी वर्ण का मिलन होने पर ‘म्’ की जगह पर अनुस्वार ही लगता है
उदहारण के लिए ;-
1.सम् + रचना = संरचना
2.सम् + लग्न = संलग्न
3.सम् + वत् = संवत्
4सम् + शय = संशय
👉 अगर म् के बाद क् से लेकर म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है।
उदहारण के लिए ;-
- किम् + चित = किंचित
- किम् + कर = किंकर
- सम् +कल्प = संकल्प
- सम् + चय = संचयम
- सम +तोष = संतोष
- सम् + बंध = संबंध
- सम् + पूर्ण = संपूर्ण
👉 म् के बाद म का द्वित्व हो जाता है।
उदहारण के लिए ;-
- सम् + मति = सम्मति
- सम् + मान = सम्मान
👉 म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजन आने पर म् का अनुस्वार हो जाता है।
उदहारण के लिए ;-
1.सम् + योग = संयोग
2.सम् + रक्षण = संरक्षण
3.सम् + विधान = संविधान
4.सम् + शय =संशय
5.सम् + लग्न = संलग्न
6.सम् + सार = संसार
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नियम 4 ;- ‘ त् ‘ के संबंध में नियम:–
👉 त् से परे च्, छ् होने पर च, / ज् , झ् होने पर ज्, / ट्, ठ् होने पर ट्,/ ड्, ढ् होने पर ड् / और ल होने पर ल् बन जाता है।
उदहारण :–
- उत् + चारण = उच्चारण
- सत् + जन = सज्जन
- उत् + झटिका = उज्झटिका
- तत् + टीका =तट्टीका
- उत् + डयन = उड्डयन
- उत् +लास = उल्लास
👉 जब त् का मिलन अगर श् से हो तो त् को च् और श् को छ् में बदल दिया जाता है। जब त् या द् के साथ च या छ का मिलन होता है तो त् या द् की जगह पर च् बन जाता है।
उदहारण के लिए ;-
- उत् + चारण = उच्चारण
- शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र
- उत् + छिन्न = उच्छिन्न
- सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र
- उत् + श्वास = उच्छ्वास
- उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
👉 जब त् का मिलन ह् से हो तो त् को द् और ह् को ध् में बदल दिया जाता है। त् या द् के साथ ज या झ का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ज् बन जाता है।
उदहारण के लिए ;-
- सत् + जन = सज्जन
- जगत् + जीवन = जगज्जीवन
- वृहत् + झंकार = वृहज्झंकार
- उत् + हार = उद्धार
- उत् + हरण = उद्धरण
- तत् + हित = तद्धित
👉 त् या द् के साथ ट या ठ का मिलन होने पर त् या द् की जगह पर ट् बन जाता है। जब त् या द् के साथ ‘ड’ या ढ की मिलन होने पर त् या द् की जगह पर‘ड्’बन जाता है।
उदहारण के लिए ;-
- तत् + टीका = तट्टीका
- वृहत् + टीका = वृहट्टीका
- भवत् + डमरू = भवड्डमरू
नियम 5 ;- ‘ छ् ‘ के संबंध में नियम:–
👉 स्वर के बाद अगर छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है।
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उदहारण के लिए ;-
- स्व + छंद = स्वच्छंद
- आ + छादन =आच्छादन
- संधि + छेद = संधिच्छेद
- अनु + छेद =अनुच्छेद
नियम 6 ;- ‘ द् ‘ के संबंध में नियम:–
👉 त् या द् के साथ जब ल का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ‘ल्’ बन जाता है।
उदहारण के लिए ;-
- उत् + लास = उल्लास
- तत् + लीन = तल्लीन
- विद्युत् + लेखा = विद्युल्लेखा
👉 त् या द् के साथ ‘ह’ के मिलन पर त् या द् की जगह पर द् तथा ह की जगह पर ध बन जाता है।
उदहारण के लिए ;-
- उत् + हार = उद्धार/उद्धार
- उत् + हृत = उद्धृत/उद्धृत
- पद् + हति = पद्धति
👉 त् या द्’ के साथ ‘श’ के मिलन पर त् या द् की जगह पर ‘च्’ तथा ‘श’ की जगह पर ‘छ’ बन जाता है।
उदहारण के लिए ;-
- उत् + श्वास = उच्छ्वास
- उत् + शृंखल = उच्छृंखल
- शरत् + शशि = शरच्छशि
नियम 7 ;- ‘ न ‘ के संबंध में नियम:–
👉 जब ऋ, र, ष का ‘न’ से मेल होता है तो न = ण हो जाता है –
उदहारण के लिए ;-
- ऋ + न = ऋण
- मर + न = मरण
- भर + न = भरण
- चर + न = चरण
- भूष + न = भूषण
- राम + अयन = रामायण
- परि + नाम = परिणाम
- नार + अयन = नारायण
👉 ऋ, र, ष का न से मेल हो परंतु बिच में चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, श और स आ जाएँ तो ‘न’ नहीं बदलता –
दर्शन, दुर्जन, अर्जुन, अर्चना, पर्यटन
नियम 8 ;- ‘ स् ‘ के संबंध में नियम:–
👉 स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष बना दिया जाता है।
- वि + सम = विषम
- अभि + सिक्त = अभिषिक्त
- अनु + संग = अनुषंग
- भ् + स् के उदहारण :-
- अभि + सेक = अभिषेक
- नि + सिद्ध = निषिद्ध
- वि + सम + विषम
- अभि + सेक = अभिषेक
- नि + सेध = निषेध
- सु + सुप्ति = सुषुप्ति
इसके कुछ अपवाद भी है
अपवाद : अनु + स्वार = अनुस्वार, अनु + सरण = अनुसरण, वि + स्मरण = विस्मरण!
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3. विसर्ग संधि
विसर्ग के बाद जब स्वर या व्यंजन आ जाये तब जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
विसर्ग संधि के उदहारण
मन: + अनुकूल = मनोनुकूल
नि:+अक्षर = निरक्षर
नि: + पाप =निष्पाप
विसर्ग संधि के नियम
विसर्ग संधि के 10 नियम होते हैं जो की इस प्रकार से है
नियम 1 ;-
विसर्ग के साथ च या छ को मिलाने से विसर्ग के जगह पर ‘ श् ’ बन जाता है। विसर्ग के पहले अगर ‘अ’ और बाद में भी ‘अ’ अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण, अथवा य, र, ल, व हो तो विसर्ग का ओ हो जाता है।
उदहारण के लिए :
- निः + चय = निश्चय
- मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
- अधः + गति = अधोगति
- मनः + बल = मनोबल
- हरिश्चन्द्र = हरिः + चन्द्र
- दुः + चरित्र = दुश्चरित्र
- ज्योतिः + चक्र = ज्योतिश्चक्र
- निः + छल = निश्छल
- अन्तश्चक्षु = अन्तः + चक्षु
- तपश्चर्या = तपः + चर्या
- अन्तश्चेतना = अन्तः + चेतना
नियम 2 ;-
विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण अथवा य्, र, ल, व, ह में से कोई हो तो विसर्ग का र या र् हो जाता ह।
विसर्ग के साथ ‘ श ’ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर भी ‘ श् ’ बन जाता है।
उदहारण के लिए :–
- दुः + शासन = दुश्शासन
- निश्श्वास = निः + श्वास
- यशः + शरीर = यशश्शरीर
- निश्शंक = निः + शंक
- निः + शुल्क = निश्शुल्क
- निः + आहार = निराहार
- चतुश्श्लोकी = चतुः + श्लोकी
- निः + आशा = निराशा
- निः + धन = निर्धन
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नियम 3 ;-
विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है। विसर्ग के साथ ट, ठ या ष के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘ ष् ’ बन जाता है।
उदहारण के लिए :–
- निः + चल = निश्चल
- धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
- दुः + शासन = दुश्शासन
- चतुः + टीका = चतुष्टीका
- निः + छल = निश्छल
- चतुः + षष्टि = चतुष्षष्टि
नियम 4 ;-
विसर्ग के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग स् बन जाता है। यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ या आ के अतिरिक्त अन्य कोई स्वर हो तथा विसर्ग के साथ मिलने वाले शब्द का प्रथम वर्ण क, ख, प, फ में से कोई भी हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘ष्’ बन जायेगा।
उदहारण के लिए :–
- चतुः + पथ = चतुष्पथ
- निः + फल = निष्फल
- निष्प्रयोजन = निः + प्रयोजन
- बहिष्कार = बहिः + कार
- निष्कपट = निः + कपट
- निष्काम = निः + काम
- नमः + ते = नमस्ते
- दुः + कर = दुष्कर
- निः + संतान = निस्संतान
- दुः + साहस = दुस्साहस
- आविः + कार = आविष्कार
नियम 5 ;-
विसर्ग से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ष हो जाता है। यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ या आ का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद क, ख, प, फ हो तो सन्धि होने पर विसर्ग भी ज्यों का त्यों बना रहेगा।
उदहारण के लिए :–
- अधः + पतन = अध: पतन
- प्रातः + काल = प्रात: काल
- अन्त: + पुर = अन्त: पुर
- वय: क्रम = वय: क्रम
- रज: कण = रज: + कण
- तप: पूत = तप: + पूत
- पय: पान = पय: + पान
- अन्त: करण = अन्त: + करण
इसके विसर्ग संधि के नियम के अपवाद कुछ इस प्रकार से है
- भा: + कर = भास्कर
- नम: + कार = नमस्कार
- पुर: + कार = पुरस्कार
- श्रेय: + कर = श्रेयस्कर
- बृह: + पति = बृहस्पति
- पुर: + कृत = पुरस्कृत
- तिर: + कार = तिरस्कार
- निः + कलंक = निष्कलंक
- चतुः + पाद = चतुष्पाद
- निः + फल = निष्फल
नियम 6 ;-
विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। विसर्ग के साथ त या थ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘स्’ बन जायेगा।
उदहारण के लिए :–
- अन्त: + तल = अन्तस्तल
- नि: + ताप = निस्ताप
- दु: + तर = दुस्तर
- नि: + तारण = निस्तारण
- निस्तेज = निः + तेज
- नमस्ते = नम: + ते
- मनस्ताप = मन: + ताप
- बहिस्थल = बहि: + थल
- निः + रोग = निरोग निः + रस = नीरस
नियम 7 ;-
विसर्ग के बाद क, ख अथवा प, फ होने पर विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता। विसर्ग के साथ ‘स’ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘स्’ बन जाता है।
उदहारण के लिए :–
- नि: + सन्देह = निस्सन्देह
- दु: + साहस = दुस्साहस
- नि: + स्वार्थ = निस्स्वार्थ
- दु: + स्वप्न = दुस्स्वप्न
- निस्संतान = नि: + संतान
- दुस्साध्य = दु: + साध्य
- मनस्संताप = मन: + संताप
- पुनस्स्मरण = पुन: + स्मरण
- अंतः + करण = अंतःकरण
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नियम 8 ;-
यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में ‘इ’ व ‘उ’ का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद ‘र’ हो तो सन्धि होने पर विसर्ग का तो लोप हो जायेगा साथ ही ‘इ’ व ‘उ’ की मात्रा ‘ई’ व ‘ऊ’ की हो जायेगी।
उदहारण के लिए :–
- नि: + रस = नीरस
- नि: + रव = नीरव
- दु: + राज = दूराज
- नि: + रोग = नीरोग
- नीरज = नि: + रज
- नीरन्द्र = नि: + रन्द्र
- चक्षूरोग = चक्षु: + रोग
- दूरम्य = दु: + रम्य
नियम 9 ;-
विसर्ग के पहले वाले वर्ण में ‘अ’ का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ के अतिरिक्त अन्य किसी स्वर के मेल पर विसर्ग का लोप हो जायेगा तथा अन्य कोई परिवर्तन नहीं होगा।
उदहारण के लिए :–
- अत: + एव = अतएव
- मन: + उच्छेद = मनउच्छेद
- पय: + आदि = पयआदि
- तत: + एव = ततएव
नियम 10 ;-
विसर्ग के पहले वाले वर्ण में ‘अ’ का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ, ग, घ, ड॰, झ, ज, ड, ढ़, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व, ह में से किसी भी वर्ण के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘ओ’ बन जायेगा।
उदहारण के लिए :–
- वय: + वृद्ध = वयोवृद्ध
- यश: + धरा = यशोधरा
- मन: + योग = मनोयोग
- अध: + भाग = अधोभाग
- तप: + बल = तपोबल
- मन: + रंजन = मनोरंजन
- मनोनुकूल = मन: + अनुकूल
- मनोहर = मन: + हर
- तपोभूमि = तप: + भूमि
- पुरोहित = पुर: + हित
- यशोदा = यश: + दा
- अधोवस्त्र = अध: + वस्त्र
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संधि पर अभ्यास ;-
निम्नलिखित शब्दों की संधि करते हुए, संधि का नाम भी लिखिए
- कपि + ईश = …………. , …………..
- अति + अधिक = …………. , …………..
- नै + इका = …………. , …………..
- षट् + आनन = …………. , …………..
- पुरः + कार = …………. , …………..
- वाक् + ईश = …………. , …………..
- तथा + एव = …………. , …………..
- उत् + घाटन = …………. , …………..
- पौ + अक = …………. , …………..
- सत् + जन = …………. , …………..
- तपः + वन = …………. , …………..
- नै + अक = …………. , …………..
- मनः + गति = …………. , …………..
- उत् + ज्वल = …………. , …………..
- भाग्य + उदय = …………. , …………..
- पौ + अन = …………. , …………..
- सरः + ज = …………. , …………..
- निः + छल = …………. , …………..
- सम् + देह = …………. , …………..
- उत् + नयन = …………. , …………..
- मतैक्य = …………. + …………..
- वूधत्सव = …………. + …………..
- देवालय = …………. + …………..
- यद्यपि = …………. + …………..
- सज्जन = …………. + …………..
- भाग्योदय = …………. + …………..
- परोपकार = …………. + …………….
- एकैक = …………. + …………..
- स्वेच्छा = …………. + …………..
Answer for All question ;-
- कपीश = दीर्घ संधि
- अत्यधिक = यण संधि
- नायिका = अयादि संधि
- षडानन = व्यंजन संधि
- पुरस्कार = विसर्ग संधि
- वागीश = व्यंजन संधि
- तथैव = वृद्धि संधि
- उद्घाटन = विसर्ग संधि
- पावक = अयादि संधि
- सज्जन = व्यंजन संधि
- तपोवन = विसर्ग संधि
- नायक = अयादि संधि
- मनोगति = विसर्ग संधि
- उज्ज्वल = व्यंजन संधि
- भाग्योदय = गुण संधि
- पावन = अयादि संधि
- सरोज = विसर्ग संधि
- निश्छल = व्यंजन संधि
- संदेह = व्यंजन संधि
- उन्नयन = व्यंजन संधि
- मत + एक्य
- वधू + उत्सव
- देव + आलय
- यदि + अपि
- सत् + जन
- भाग्य + उदय
- पर + उपकार
- एक + एक
- स्व + इच्छा
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अभ्यास 1 ;-
शब्दों में संधि-विच्छेद कीजिए –
- लोकेंद्र = …………. + …………..
- यथार्थ = …………. + …………..
- अधरौष्ठ = …………. + …………..
- हिमांशु = …………. + …………..
- सोमेंद्र = …………. + …………..
- नवोदित = ………….. + …………..
- विस्मयादि = …………. + …………..
- नवोदय = …………. + …………..
- सर्वोदय = …………. + …………..
- लघूत्तर = …………. + …………..
- स्वल्प = …………. + …………..
- राजेश्वर = …………. + …………..
- धनादेश = …………. + …………..
- सदुपाय = …………. + …………..
- अध्यादेश = …………. + …………..
- परमाणु = …………. + …………..
- लोकोपचार = …………. + …………..
- दिग्गज = …………. + …………..
- कुशासन = …………. + …………..
- अत्यंत = …………. + …………..
- रत्नाकर = …………. + …………..
- वीरोचित = …………. + …………..
- वाचनालय = …………. + …………..
- सदैव = …………. + …………..
- चरणामृत = …………. + …………..
- शीतोदक = …………. + …………..
- महाशय = …………. + …………..
- कवीश्वर = …………. + …………..
- परिच्छेद = …………. + …………..
- देवेंद्र = …………. + …………..
- महेंद्र = …………. + …………..
- कृतार्थ = …………. + …………..
- दीक्षांत = …………. + …………..
- वनौषधि = …………. + ……………
- सागरोमि = …………. + …………..
- प्रत्येक = …………. + …………..
- कृपाकांक्षी = …………. + …………..
- पूर्णंदु = …………. + …………..
- पर्यावरण = …………. + …………..
- उद्गम = …………. + …………..
- नीरस = …………. + …………..
- निर्धन = …………. + …………..
- सन्मार्ग = …………. + …………..
- उड्डयन = …………. + …………..
- तपोबल = …………. + …………..
- विश्रमालय = …………. + …………..
- नदीश = …………. + …………..
- दुश्शासन = …………. + …………..
- भाग्योदय = …………. + …………..
Answer;-
- लोक + इंद्र
- यथा + अर्थ
- अधर + ओष्ट
- हिम + अंशु
- सोम + इंद्र
- नव + उदित
- विस्मय + आदि
- नव + उदय
- सर्व + उदय
- लघु + उत्तर
- सुः + अल्प
- राज + ईश्वर
- धन + आदेश
- सद + उपाय
- अधि + आदेश
- परम + अणु
- लोक + उपचार
- दिक् + गज
- कुश + आसन
- अति + अंत
- रत्न + आकर
- वीर + उचित
- वाचन + आलय
- सदा + एव
- चरण + अमृत
- शीत + उदक
- महा + आशय
- कवि + ईश्वर
- परि + छेद
- देव + इंद्र
- महा + इंद्र
- कृत + अर्थ
- दीक्षा + अंत
- वन + औषधि
- सागर + ऊर्मि
- प्रति + एक
- कृपा + आकांक्षी
- पूर्ण + इंदु
- परि + आवरण
- उत् + गम
- निः + रस
- निः + धन
- सत् + मार्ग
- उत् + डयन
- तपः + बल
- विश्राम + आलय
- नदी + ईश
- दुः + शासन
- भाग्य + उदय
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Most Asked Q&A
Question ;- सर्वोत्तम में कौनसी संधि है?
Answer;- गुण संधि
Question ;- सु अल्प मे कौन सी संधि है?
Answer;- यण संधि
Question ;- उत्तम में कौनसी संधि है?
Answer;- व्यंजन संधि
Question ;- सिद्धि का संधि विच्छेद क्या होगा?
Answer;- सिद्ध + अंत
Question ;- रामेश्वरम में कौन सी संधि है?
Answer;- गुण संधि
Question ;- निस्संदेह शब्द कौन सी संधि का उदाहरण है?
Answer;- विसर्ग संधि
Question ;- सूर्योदय में कौन सी संधि है?
Answer;- गुण संधि
Question;- गुण संधि का अर्थ क्या है?
Answer;- जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ए’ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ओ’ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर’ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
Question;- गुण संधि का सूत्र क्या है?
Answer;- गुण संधि का सूत्र आद्गुण: होता है। यह संधि स्वर संधि के भागो में से एक है।
Question ;- महौषधि में कौन सी संधि है?
Answer;- महा + औषधि
Question;- परम औषधि कौन सी संधि है?
Answer ;- वृधि संधि
Question ;- सु अल्प मे कौन सी संधि है?
Answer ;- यण संधि
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