उपमा अलंकार किसे कहते हैं ? पूरी जानकारी

उपमा अलंकार किसे कहते हैं:उपमा अलंकार भी अलंकार के अर्थालंकार का ही एक भेद है जिसके उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना।
इस प्रकार के अलंकार में किसी एक की तुलना किसी दूसरे से की जाती है
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उपमा अलंकार
उपमा अलंकार किसे कहते है ?
उपमा अलंकार किसे कहते हैं| जब कही व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे वस्तु या व्यक्ति से की जाए तो वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
इसका अर्थ यह हुआ की जब किसी दो वस्तुओं के आकृति, स्वभाव और गुण आदि में समानता बतलायी जाए तो यह उपमा अलकार होगा
दूसरे शब्दों में कहे तो जब दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।
उदहारण के लिए;-
वह सीता के जैसे पवित्र है।
इसमें वह को सीता के जैसे पवित्र बतलाने का बोध हो रहा है
अर्थात यहाँ पर वह का सीता के साथ तुलना की जा रही है और जब किसी पहली वस्तु का किसी दूसरे के साथ तुलना करते है तो वहां उपमा अलंकार होता है।
आईये इसे इक दूसरे उदहारण से समझते है।
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कर कमल-सा कोमल हैं
यहाँ पर कर-उपमेय है, कमल-उपमान है, कोमल-साधारण धर्म है एवं सा-वाचक शब्द है।
जब किन्ही दो वस्तुओं की उनके एक सामान धर्म की वजह से तुलना की जाती है तब वहां उपमा अलंकार होता है।
उपमा अलंकार के भेद
उपमा अलंकार के मुख्य रूप से दो भेद होते है।
- पूर्णोपमा अलंकार
- लुप्तोपमा अलंकार।
पूर्णोपमा अलंकार
जब उपमेय , उपमान , वाचक शब्द , साधारण धर्म आदि अंग होते हैं वहाँ पर पूर्णोपमा अलंकार होता है। इसमें उपमा के सभी अंग होते हैं
उदाहरण के लिए ;-
सागर -सा गंभीर ह्रदय हो ,
गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन।
लुप्तोपमा अलंकार
जब उपमा के चारों अगों में से यदि किसी एक या दो का या फिर तीन का होना न पाया जाए तो वहाँ पर लुप्तोपमा अलंकार होता है।
उदाहरण के लिए ;-
कल्पना सी अतिशय कोमल।
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उपमा अलंकार के अंग
उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं जो की निम्नलिखित है
- उपमेय
- उपमान
- वाचक शब्द
- साधारण धर्म
उपमेय
अगर किसी पहली वस्तु की समानता किसी दूसरी वस्तु से की जाये तो वहाँ पर उपमेय होता है।
उपमेय का अर्थ होता है – उपमा देने के योग्य।
उपमान
उपमेय की जिस के साथ समानता बताई जाती है उसे उपमान कहते हैं। या दूसरे शब्दों में कहे तो उपमेय की उपमा जिससे दी जाती है उसे उपमान कहते हैं।
वाचक शब्द
जब उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती है तब जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे वाचक शब्द कहते हैं।
साधारण धर्म
दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाने के लिए जब किसी ऐसे गुण या धर्म की मदद ली जाती है जो दोनों में वर्तमान स्थिति में हो उसी गुण या धर्म को साधारण धर्म कहते हैं।
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